Shodashi for Dummies
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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
अष्टैश्वर्यप्रदामम्बामष्टदिक्पालसेविताम् ।
चक्रेश्या पुर-सुन्दरीति जगति प्रख्यातयासङ्गतं
अष्टमूर्तिमयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥८॥
पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥
उत्तीर्णाख्याभिरुपास्य पाति शुभदे सर्वार्थ-सिद्धि-प्रदे ।
षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।
षट्पुण्डरीकनिलयां षडाननसुतामिमाम् ।
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी पञ्चरत्न स्तोत्रं ॥
देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
हंसोऽहंमन्त्रराज्ञी हरिहयवरदा हादिमन्त्रार्थरूपा ।
Shodashi’s influence encourages instinct, encouraging devotees obtain their internal knowledge and establish rely on inside their instincts. Chanting her mantra strengthens intuitive abilities, guiding folks towards conclusions aligned with their optimum great.
इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी click here मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।
॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥